Saturday, April 9, 2011

प्रजातंत्र में ऐसा ही होता है !!!!!!!!!

वे बोले --
जहाँ तक नज़र जाती है
साठ बरस का
एक अपंग बच्चा नज़र आता है
जो अपने लुंज हाथों को उठाने की
कोशिश करता हुआ
चीख रहा है --
मुझे दलदल से निकालो
मैं प्रजातंत्र हूँ, मुझे बचा लो !

जनता को नारे
और कामवाले हाथों को
झंडे थमा देने वाले
वक्त के ये सौदागर
बड़े ऊँचे खिलाडी हैं
जो अपना भूगोल ढांकने के लिए
राजनीति लपेट लेते हैं
और रहा कॉमर्स
सो उसे, उनके भाई भतीजे
और दामाद समेट लेते हैं !!

हमने कहा --
नेताओ के आलावा आपके पास
कोई विषय नहीं हैं ??

वे बोले --
क्यों नहीं
बुढा बाप है
बीमार माँ है
उदास बीबी है
भूखे बच्चे हैं
जवान बहन है
बेकार भाई है
भ्रष्टाचार है
महंगाई है
बीस का खर्चा है
दस की कमाई है
इधर कुआं है
उधर खाई है !!

हमने कहा --
बड़ी मुसीबत है
जो भी मिलता है
अपनी बीमारी का रोना रोता है !!

वे बोले --
प्रजातंत्र में ऐसा ही होता है
हर बीमारी स्वतंत्र है
दवा चलती रहे
बीमार चलता रहे
यही प्रजातंत्र का मूलमंत्र है !!

हमने पूछा--
क्या उम्र होगी आपकी ??

वे बोले --
साठ की उम्र में
एक सौ साठ के नज़र आ रहे हैं
बस यू समझिये की
अपनी उमर खा रहे हैं !
हिंदुस्तान में पैदा हुए थे
कब्रिस्तान में जी रहे हैं
जब से माँ का दूध छोड़ा है
आसूं प़ी रहे हैं !
बात जनम से मरण तक आ पहुंची है
राजनीति टोपी से चरण तक आ पहुंची है
देश के सर से
ढाई बरस में शनि हटा
तो राहू चढ़ गया,
राहू हटा
तो केतु सताएगा
केतु गया
तो मंगल जन खायेगा !!

हमने कहा --
हटाईये,
लीजिये पान खाईये !!

वे बोले --
पान ! दो रूपये का,
कहाँ जायेगा हिन्दुस्तान
साठ बरस में और क्या किया है
सारे हिंदुस्तान को
पीकदान बना दिया है!
जहाँ मन आया थूक दिया,
जब भी मौका मिला
देश को
चुनाव के चूल्हे में झोंक दिया !!

नेता हँसता है,
गरीब रोता है,
प्रजातंत्र में ऐसा ही होता है !!!

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