क्योंकि इस ब्लॉग की रचनाएँ अधिकांशतः अन्य व्यक्तियों द्वारा रचित हैं, मैंने तो बस उनसे उधार लिया हैं !इसके लिए मैं सभी ज्ञात अज्ञात रचनाकारों को धन्यवाद देता हूँ..
Saturday, November 20, 2010
munaver rana
जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
No comments:
Post a Comment