Tuesday, November 16, 2010

बेवकूफ गाय और संता

एक दिन संता पास के ठेके में बैठा शराब पी रहा था. तभी बंता सिंह उसके पास आया और पूछा‚ “अरे‚ इतने अच्छे दिन तुम यहां बैठे शराब क्यों पी रहे हो?

संता: कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.

बंता सिंह : ऐसी भी क्या बात हो गयी?

संता : अरे यार क्या कहूं, आज मैं अपनी गाय के पास बैठ कर दूध दुह रहा था. बाल्टी भरने ही वाली थी कि गाय ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.

बंता : यह तो कोई बहुत बुरी बात नहीं है जिसकी वजह से तुम शराब पीने लगो.

संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.

बंता : तो फिर क्या हुआ?

संता : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी.

बंता : अच्छा फिर?

संता : फिर मैं बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा. जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि गाय ने अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.

बंता : फिर से?

संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.

बंता : अच्छा फिर तूने क्या किया?

संता : इस बार फिर से मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी.

बंता : अच्छा उसके बाद?

संता : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया. फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ गाय ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी.

बंता : ओ हो…

संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.

बंता : फिर तूने क्या किया?

संता : फिर क्या. मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेल्ट निकाली और उससे गाय की पूंछ को बांस से बांध दिया. उसी समय मेरी पैंट नीचे सरक गई और मेरी बीवी वहां आ पहुंची. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो smajhaee nahi ja sakti..>

4 comments: