गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं
कभी —कभी मुझे यूँ भी अज़ाँ बुलाती है
शरीर बच्चे को जिस तरह माँ बुलाती है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
मेरा खुलूस तो पूरब के गाँव जैसा है
सुलूक दुनिया का सौतेली माओं जैसा है
रौशनी देती हुई सब लालटेनें बुझ गईं
ख़त नहीं आया जो बेटों का तो माएँ बुझ गईं
क्योंकि इस ब्लॉग की रचनाएँ अधिकांशतः अन्य व्यक्तियों द्वारा रचित हैं, मैंने तो बस उनसे उधार लिया हैं !इसके लिए मैं सभी ज्ञात अज्ञात रचनाकारों को धन्यवाद देता हूँ..
Saturday, November 20, 2010
"मैं अकेला" रचनाकार: सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
मैं अकेला;
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला ।
पके आधे बाल मेरे
हुए निष्प्रभ गाल मेरे,
चाल मेरी मन्द होती आ रही,
हट रहा मेला ।
जानता हूँ, नदी-झरने
जो मुझे थे पार करने,
कर चुका हूँ, हँस रहा यह देख,
कोई नहीं भेला ।
शब्दार्थ:
भेला = पुराने ढंग की नाव
देखता हूँ, आ रही
मेरे दिवस की सान्ध्य बेला ।
पके आधे बाल मेरे
हुए निष्प्रभ गाल मेरे,
चाल मेरी मन्द होती आ रही,
हट रहा मेला ।
जानता हूँ, नदी-झरने
जो मुझे थे पार करने,
कर चुका हूँ, हँस रहा यह देख,
कोई नहीं भेला ।
शब्दार्थ:
भेला = पुराने ढंग की नाव
Tuesday, November 16, 2010
HELMET
एक सरदार ट्रेफिक पुलिस के साक्षात्कार के लिए गया
साक्षात्कार लेने वाला :- अगर एक आदमी गधे की सवारी करते हुए रोड से जा रहा है और उसने हेलमेट नहीं पहना है , तो क्या आप उसे दण्डित करोगे ?
सरदारजी :- नहीं
साक्षात्कार लेने वाला :- क्यों ?
सरदारजी :- क्योंकि हेलमेट २ व्हीलर के लिए जरुरी है ... ४ व्हीलर के लिए नहीं
साक्षात्कार लेने वाला :- अगर एक आदमी गधे की सवारी करते हुए रोड से जा रहा है और उसने हेलमेट नहीं पहना है , तो क्या आप उसे दण्डित करोगे ?
सरदारजी :- नहीं
साक्षात्कार लेने वाला :- क्यों ?
सरदारजी :- क्योंकि हेलमेट २ व्हीलर के लिए जरुरी है ... ४ व्हीलर के लिए नहीं
बेवकूफ गाय और संता
एक दिन संता पास के ठेके में बैठा शराब पी रहा था. तभी बंता सिंह उसके पास आया और पूछा‚ “अरे‚ इतने अच्छे दिन तुम यहां बैठे शराब क्यों पी रहे हो?
संता: कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता सिंह : ऐसी भी क्या बात हो गयी?
संता : अरे यार क्या कहूं, आज मैं अपनी गाय के पास बैठ कर दूध दुह रहा था. बाल्टी भरने ही वाली थी कि गाय ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.
बंता : यह तो कोई बहुत बुरी बात नहीं है जिसकी वजह से तुम शराब पीने लगो.
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : तो फिर क्या हुआ?
संता : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी.
बंता : अच्छा फिर?
संता : फिर मैं बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा. जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि गाय ने अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.
बंता : फिर से?
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : अच्छा फिर तूने क्या किया?
संता : इस बार फिर से मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी.
बंता : अच्छा उसके बाद?
संता : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया. फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ गाय ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी.
बंता : ओ हो…
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : फिर तूने क्या किया?
संता : फिर क्या. मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेल्ट निकाली और उससे गाय की पूंछ को बांस से बांध दिया. उसी समय मेरी पैंट नीचे सरक गई और मेरी बीवी वहां आ पहुंची. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो smajhaee nahi ja sakti..>
संता: कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता सिंह : ऐसी भी क्या बात हो गयी?
संता : अरे यार क्या कहूं, आज मैं अपनी गाय के पास बैठ कर दूध दुह रहा था. बाल्टी भरने ही वाली थी कि गाय ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.
बंता : यह तो कोई बहुत बुरी बात नहीं है जिसकी वजह से तुम शराब पीने लगो.
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : तो फिर क्या हुआ?
संता : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी.
बंता : अच्छा फिर?
संता : फिर मैं बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा. जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि गाय ने अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी.
बंता : फिर से?
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : अच्छा फिर तूने क्या किया?
संता : इस बार फिर से मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी.
बंता : अच्छा उसके बाद?
संता : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया. फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ गाय ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी.
बंता : ओ हो…
संता : कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं.
बंता : फिर तूने क्या किया?
संता : फिर क्या. मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपनी बेल्ट निकाली और उससे गाय की पूंछ को बांस से बांध दिया. उसी समय मेरी पैंट नीचे सरक गई और मेरी बीवी वहां आ पहुंची. कुछ बातें ऐसी होती हैं जो smajhaee nahi ja sakti..>
shadi kara do
अच्छा-सा लड़का !!!
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"मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं...
जब मेरी शादी हुई थी, वह सिर्फ 10वीं पास थी,
मैंने उसे पढ़ाया, 12वीं की परीक्षा दिलवाई,
फिर बीए करवाया, एमए करवाया,
और अब उसकी सरकारी नौकरी भी लगवा दी है..."
मनोहर ने चुटकी लेते हुए कहा,
"अब एक अच्छा-सा लड़का देखकर
उसकी शादी भी करवा दो...
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