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गर्भवती माँ ने बेटी से पूछा
क्या चाहिए तुझे? बहन या भाई
बेटी बोली भाई
किसके जैसा? बाप ने लडियाया
रावण सा, बेटी ने जवाब दिया
क्या बकती है? पिता ने धमकाया
माँ ने घूरा, गाली देती है
बेटी बोली, क्यूँ माँ?
बहन के अपमान पर राज्य
वंश और प्राण लुटा देने वाला
शत्रु स्त्री को हरने के बाद भी
स्पर्श न करने वाला
रावण जैसा भाई ही तो
हर लड़की को चाहिए आज
छाया जैसी साथ निबाहने वाली
गर्भवती निर्दोष पत्नी को त्यागने वाले
मर्यादा पुरषोत्तम सा भाई
लेकर क्या करुँगी मैं?
और माँ
अग्नि परीक्षा चौदह बरस वनवास और
अपहरण से लांछित बहु की क़तर आहें
तुम कब तक सुनोगी और
कब तक राम को ही जन्मोगी
माँ सिसक रही थी - पिता आवाक था
wakai is kavita ne dil ko chhu liya aur aaj ke samaj ko aapne bahut hi acche se paribhashit karne ki kosis ki hai....is kavita ke madhyam se aapne jo aaina dikhaya hai uske liye aapka bahut bahut aabhar....
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