क्योंकि इस ब्लॉग की रचनाएँ अधिकांशतः अन्य व्यक्तियों द्वारा रचित हैं, मैंने तो बस उनसे उधार लिया हैं !इसके लिए मैं सभी ज्ञात अज्ञात रचनाकारों को धन्यवाद देता हूँ..
Saturday, July 31, 2010
jankariiii......
रेपो रेट
आम आदमी कीतरह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी कर्ज की जरुरत पड़ती है ऐसे में ये रिजर्वबैंक से शार्ट टर्म के लिए कर्ज लेते हैं। जिस ब्याज दर पर आरबीआई बैंकों औरवित्तीय संस्थानों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है। जब बाजार में लिक्विडिटीज्यादा हो जाती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ा देता है जिससे आरबीआई से मिलने वालाकर्ज महंगा हो जाता है और बाजार में लिक्विडिटी में कमी आ जाती है। इससे महंगाई कोकाबू में करने में भी मदद मिलती है।
रिवर्स रेपो रेट
बैंकों औरवित्तीय संस्थानों के पास जब नगदी की अधिकता हो जाती है तो वो उसे आरबीआई को उधारदे देते हैं। जिस दर पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।महंगाई को काबू में करने के लिए भी रिवर्स रेपो रेट आरबीआई बढ़ा देता है जिससे बैंकबाजार में पैसा लगाने के बजाय आरबीआई के पास पैसा जमा करवाने में ज्यादा दिलचस्पीदिखाते हैं
Friday, July 23, 2010
एक औरत कम पढ़ी-लिखी थी। उसे पता नहीं था कि पूर्णविराम कहां लगाना है। इसलिए लिखने के दौरान वह कहीं भी पूर्णविराम लगा देती थी। उसके पति बाहर रहते थे। एक दिन उसने अपने पति को चिट्ठी लिखी, जो कुछ यूं थी-
मेरे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणों में। आपने अभी तक चिट्ठी नहीं लिखी मेरी सहेली को। नौकरी मिल गई है हमारी गाय ने। बछड़ा दिया है दादा जी ने। शराब शुरू कर दी मैंने। तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आए कुत्ते के बच्चे। भेडि़या खा गई दो महीने का राशन। छुट्टी पर आते हुए ले आना एक खूबसूरत औरत। और इस वक्त वही गाना गा रही है हमारी बकरी। बेच दी गई है तुम्हारी मां। तुमको याद कर रही है एक पड़ोसन। हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन। सिरदर्द से लेटी है तुम्हारी पत्नी।